हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और टेक उद्योगपति एलन मस्क के बीच सोशल मीडिया पर जारी जुबानी जंग ठंडा पड़ गई है। मस्क ने अपने एक पोस्ट में लिखा कि “I regret some of my posts about President Donald Trump last week. They went too far,” यानी उन्हें ट्रम्प के खिलाफ कुछ पोस्ट पर पछतावा है। इस बयान से ट्रम्प-मस्क के बीच जारी तीखी बहस शांत हो गई है।
अमेरिका-चीन व्यापार समझौता
ट्रम्प प्रशासन ने इसके तुरंत बाद चीन के साथ एक बड़ा व्यापार समझौता करने की घोषणा की। समझौते की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
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दुर्लभ धातुओं की आपूर्ति: चीन अमेरिका को “कम्प्लीट शिपमेंट” के तौर पर सभी आवश्यक दुर्लभ धातुएँ और मैग्नेट्स मुहैया कराएगा। इन धातुओं का उपयोग स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहनों और रक्षा उपकरण बनाने में होता है।
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शिक्षा आदान-प्रदान: बदले में अमेरिका अपने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में चीनी छात्रों को दाखिला देने की प्रतिबद्धताओं को फिर से लागू करेगा। इससे पहले ट्रम्प प्रशासन ने ऐसे छात्र वीज़ा पर पाबंदियाँ लगाई थीं, जो अब हटाई जा रही हैं।
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शुल्क (टैरिफ) ढांचा: दोनों देशों ने टैरिफ दरों पर भी सहमति जताई है। अमेरिका ने चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर कुल 55% टैरिफ लागू करने की योजना बनाई है, जबकि चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर 10% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ट्रम्प ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “We are getting a total of 55% tariffs, China is getting 10%. Relationship is excellent!”।
ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया (Truth Social) पोस्ट में कहा: “हमारा चीन के साथ समझौता हो गया है, बशर्ते शी जिनपिंग और मैं इसे अंतिम रूप दे दें।” उन्होंने इसे दोनों देशों के लिए “बड़ी जीत” बताया और कहा कि संबंध अब बहुत बेहतर हैं। हालांकि, अधिकारियों ने बाद में स्पष्ट किया कि यह फिलहाल एक रूपरेखा है और इसे अंतिम रूप देने के लिए शी जिनपिंग की भी मंजूरी ज़रूरी है।
शी जिनपिंग की भूमिका
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस समझौते में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ट्रम्प ने बताया कि शी जिनपिंग ने दुर्लभ धातुओं और मैग्नेट्स के निर्यात की अनुमति दी है, ताकि ये अमेरिका भेजे जा सकें। इसके लिए दोनों देशों की वाणिज्यिक टीमें पहले ही बातचीत कर रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि अगले सप्ताह लंदन में चीनी प्रतिनिधिमंडल से इस समझौते की अंतिम रूपरेखा पर चर्चा करेंगे। इस प्रकार शी जिनपिंग की हरी झंडी इस समझौते को क्रियान्वित करने में निर्णायक है।
ट्रम्प और मस्क का बदलता रुख
दोनों नेताओं का रुख गत कुछ समय में काफी बदल गया है। मस्क ने व्यक्तिगत हमलों के बाद अपनी गलती स्वीकारते हुए ट्रम्प से क्षमायाचना की। दूसरी ओर, ट्रम्प ने पिछले माह तक कड़े व्यापारिक रुख के बाद अब समझौते और वार्ता पर जोर दिया है। उन्होंने चीन के साथ इस सौदे को दोनों देशों के हित में बताया, जबकि पहले उनकी नीति में कई तरह के उछाल-झूल देखे गए (जैसे पहले टैरिफ बढ़ाना, फिर नरमी)। विशेषज्ञों का मानना है कि मस्क ने अपने व्यवसाय के हितों को देखते हुए ट्रम्प के साथ समन्वय बढ़ाया है, और ट्रम्प भी व्यापार तनाव को कम करके अंतरराष्ट्रीय संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।
जियोपॉलिटिकल प्रभाव
इस समझौते के दूरगामी निहितार्थ हैं। दुर्लभ धातुओं की निरंतर आपूर्ति अमेरिकी तकनीकी उद्योग के लिए राहत भरी होगी। उदाहरण के लिए, एक रिपोर्ट में बताया गया है कि “एक औसत इलेक्ट्रिक वाहन में लगभग 0.5 किलोग्राम दुर्लभ धातुओं का इस्तेमाल होता है”। चीन द्वारा इन सामग्रियों की निर्यात सीमा हटने से इलेक्ट्रिक वाहनों और स्मार्टफोन जैसे उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला में कमी आने की आशंका कम हो सकती है।
वहीं, चीनी छात्रों के लिए अमेरिका के विश्वविद्यालयों के द्वार खुलने से दोनों देशों के बीच शैक्षिक और सांस्कृतिक रिश्ते मजबूत हो सकते हैं। व्यापारिक माहौल में नरमी और उच्च टैरिफ स्तर तय होने से वैश्विक बाज़ारों में भी स्थिरता आएगी। ट्रम्प ने इस समझौते को एक “महान जीत” करार दिया, जिससे संकेत मिलता है कि अमेरिका-चीन संबंधों में फिलहाल तनाव घट सकता है। विश्लेषकों के अनुसार यह सौदा दोनों देशों को आंशिक लाभ पहुंचा सकता है, लेकिन भविष्य में इसके दीर्घकालिक परिणामों पर निगाह रखना आवश्यक रहेगा।
स्रोत: ऊपर उल्लिखित जानकारी Reuters और अन्य समाचार स्रोतों पर आधारित है।














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