दक्षिण एशिया में इन दिनों भू-राजनीतिक तनाव लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर द्वारा भारत के खिलाफ चेतावनी भरे बयान ने हलचल मचा दी है। इसके साथ ही बांग्लादेश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोहम्मद यूनुस की म्यांमार में सैन्य कार्रवाई की योजना ने क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ा दिया है।
🔥 क्या भारत को भीतर से कमजोर करने की साजिश चल रही है?
जानकारों का मानना है कि भारत की आंतरिक समस्याओं और सामाजिक मतभेदों को भड़काकर दुश्मन देश एक बड़ी रणनीति पर काम कर रहे हैं। उनका मकसद है भारत को अंदरूनी विवादों में उलझाकर उसकी बाहरी रणनीतिक पकड़ को कमजोर करना।
🧠 पाकिस्तानी सेना की विचारधारा और भारत विरोधी सोच
पाकिस्तान की ‘नंबर वन’ सेना में यह शिक्षा दी जा रही है कि पाकिस्तानी नागरिक “विशेष” और “श्रेष्ठ” हैं और भारत कमजोर है। यह मानसिकता नई पीढ़ी को भारत के खिलाफ नफरत से भर रही है। साथ ही यह भी प्रचार किया जा रहा है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियां निष्क्रिय हैं।
🌍 बांग्लादेश की नई सोच – क्या यह भारत विरोध का संकेत है?
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेश की कुछ विचारधाराएं भारत के खिलाफ युद्ध जैसी सोच को जन्म दे रही हैं। इसमें यह सोच शामिल है कि भारतीय सेना और सुरक्षा बलों से बिना डर के हमला किया जा सकता है।
❓ पाकिस्तान की पहचान की उलझन – भारत से दूरी या जबरदस्ती की अलग पहचान?
जनरल मुनीर समेत कई पाकिस्तानी नेताओं की कोशिश है कि पाकिस्तान को भारतीय उपमहाद्वीप से अलग दिखाया जाए। वे खुद को ईरान, तुर्की या सेंट्रल एशियाई देशों से जोड़ते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि पाकिस्तान भारत से ही जन्मा है।
⚠️ भारत को चाहिए सतर्कता और रणनीतिक एकजुटता
इन सभी घटनाओं से यह स्पष्ट है कि भारत को अपनी आंतरिक एकता और रणनीतिक सोच को और मजबूत करने की जरूरत है। भारत के युवाओं को यह समझना होगा कि पड़ोसी देशों की ये चालें सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता के लिए खतरा बन सकती हैं।
📢 निष्कर्ष:
दक्षिण एशिया एक बार फिर भू-राजनीतिक उथल-पुथल की ओर बढ़ रहा है। भारत के लिए यह समय है आत्ममंथन और जागरूकता का — जहां आंतरिक मजबूती और बाहरी सतर्कता दोनों ज़रूरी हैं।














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