तारीख: 17 जून 2025 | लेखक: संपादकीय टीम | श्रेणी: अंतरराष्ट्रीय समाचार
🔶 मुख्य बिंदु:
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प्रधानमंत्री मोदी को साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला
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भारत-साइप्रस संबंधों को नई गति
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यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार वार्ता को बल
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यूपीआई और तकनीकी सहयोग की संभावनाएं
🇮🇳 पीएम मोदी की ऐतिहासिक साइप्रस यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2025 में साइप्रस की आधिकारिक यात्रा की, जो कि 22 वर्षों बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा की गई पहली यात्रा है। इस दौरे को न केवल ऐतिहासिक बल्कि रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस अवसर पर साइप्रस सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान – “Grand Cross of the Order of Makarios III” प्रदान किया, जो दोनों देशों के गहरे और मित्रतापूर्ण संबंधों का प्रतीक है।
🌍 साइप्रस: रणनीतिक द्वीप और भारत के लिए अवसर
साइप्रस भूमध्य सागर के पूर्वी छोर पर स्थित एक द्वीपीय देश है। इसकी भौगोलिक स्थिति इसे “यूरोप का प्रवेश द्वार” बनाती है। यह न केवल व्यापार के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है, बल्कि यूरोपीय देशों से भारत के जुड़ाव को भी सशक्त करता है।
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राजधानी: निकोसिया
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यूरोपीय संघ सदस्यता: 2004 से
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2026 में करेगा EU परिषद की अध्यक्षता
🤝 भारत-साइप्रस सहयोग के प्रमुख क्षेत्र
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आर्थिक सहयोग
साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज ने भारत की गिफ्ट सिटी में निवेश की रुचि दिखाई है। इससे वित्तीय क्षेत्र में द्विपक्षीय भागीदारी को नई दिशा मिलेगी। -
डिजिटल पेमेंट्स और UPI
साइप्रस, भारत की यूपीआई प्रणाली को अपनाने पर विचार कर रहा है, जैसा कि फ्रांस, भूटान, नेपाल आदि देशों ने किया है। यह भारत के डिजिटल विजन को वैश्विक बनाने में बड़ा कदम हो सकता है। -
टेक्नोलॉजी और सुरक्षा सहयोग
दोनों देश तकनीकी और साइबर सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
🛡️ भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य: तुर्की-साइप्रस विवाद और भारत
साइप्रस का उत्तरी भाग तुर्की के नियंत्रण में है, जिसे केवल तुर्की ही मान्यता देता है। भारत का रुख स्पष्ट है – वह साइप्रस की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करता है। इससे भारत-तुर्की संबंधों पर असर पड़ सकता है, लेकिन यह भारत की स्पष्ट और नैतिक विदेश नीति को दर्शाता है।
📈 भारत को क्या लाभ?
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यूरोपीय संघ के साथ FTA (मुक्त व्यापार समझौता) को समर्थन मिलेगा
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डिजिटल इंडिया अभियान को नया विस्तार
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राजनयिक और सामरिक मजबूती
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UPSC और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी समसामयिक विषय
पीएम मोदी की ऐतिहासिक साइप्रस यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2025 में साइप्रस की आधिकारिक यात्रा की, जो कि 22 वर्षों बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा की गई पहली यात्रा है। इस दौरे को न केवल ऐतिहासिक बल्कि रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस अवसर पर साइप्रस सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान – “Grand Cross of the Order of Makarios III” प्रदान किया, जो दोनों देशों के गहरे और मित्रतापूर्ण संबंधों का प्रतीक है।
🌍 साइप्रस: रणनीतिक द्वीप और भारत के लिए अवसर
साइप्रस भूमध्य सागर के पूर्वी छोर पर स्थित एक द्वीपीय देश है। इसकी भौगोलिक स्थिति इसे “यूरोप का प्रवेश द्वार” बनाती है। यह न केवल व्यापार के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है, बल्कि यूरोपीय देशों से भारत के जुड़ाव को भी सशक्त करता है।
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राजधानी: निकोसिया
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यूरोपीय संघ सदस्यता: 2004 से
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2026 में करेगा EU परिषद की अध्यक्षता
🤝 भारत-साइप्रस सहयोग के प्रमुख क्षेत्र
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आर्थिक सहयोग
साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज ने भारत की गिफ्ट सिटी में निवेश की रुचि दिखाई है। इससे वित्तीय क्षेत्र में द्विपक्षीय भागीदारी को नई दिशा मिलेगी। -
डिजिटल पेमेंट्स और UPI
साइप्रस, भारत की यूपीआई प्रणाली को अपनाने पर विचार कर रहा है, जैसा कि फ्रांस, भूटान, नेपाल आदि देशों ने किया है। यह भारत के डिजिटल विजन को वैश्विक बनाने में बड़ा कदम हो सकता है। -
टेक्नोलॉजी और सुरक्षा सहयोग
दोनों देश तकनीकी और साइबर सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
🛡️ भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य: तुर्की-साइप्रस विवाद और भारत
साइप्रस का उत्तरी भाग तुर्की के नियंत्रण में है, जिसे केवल तुर्की ही मान्यता देता है। भारत का रुख स्पष्ट है – वह साइप्रस की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करता है। इससे भारत-तुर्की संबंधों पर असर पड़ सकता है, लेकिन यह भारत की स्पष्ट और नैतिक विदेश नीति को दर्शाता है।
📈 भारत को क्या लाभ?
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यूरोपीय संघ के साथ FTA (मुक्त व्यापार समझौता) को समर्थन मिलेगा
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डिजिटल इंडिया अभियान को नया विस्तार
📌 निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस यात्रा भारत की ‘Act West Policy’ को और अधिक मजबूती प्रदान करती है। यह दौरा केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक रणनीति का हिस्सा है। व्यापार, तकनीक, सुरक्षा और वैश्विक कूटनीति में यह यात्रा मील का पत्थर साबित हो सकती है।














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