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पूर्व सेबी चेयरमैन के खिलाफ FIR : जीडीआर घोटाला क्या है?

आज हम चर्चा करने वाले हैं माधवी पुरी बुच का, माधवी पुरी बुच जिन्हें आप जानते हैं सेबी की पूर्व अध्यक्ष रही हैं 3 साल तक लेकिन उससे पहले भी आप सेबी के अंदर एक पूर्णकालिक सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं देती रही हैं हाल ही में अपने पद से सेवा निवृत होने के बाद फिलहाल एक बार फिर से सुर्खियों में है कारण क्या है कि एक एंटी करप्शन अदालत ने इनके खिलाफ जांच का या एफआईआर का आदेश दे दिया है आप यहां पर एक खबर देखते हैं एफआईआर ऑन माधवी पुरी बुच कोर्ट ने ऑर्डर किया है फिलहाल इनके ऊपर जांच बिठाई गई है यानी कि कोर्ट ने कहा है कि इनके खिलाफ आप एफआईआर दर्ज करा सकते हैं तो जिस व्यक्ति से यह कहा गया है वह मामला क्या है कौन सा ऐसा मसला है जिसके चलते फिलहाल आप सुर्खियों में है जब इनके ऊपर एफआईआर हो रही है तो ऐसे में सेबी क्या एक्शन लेगा क्योंकि फिलहाल आप सेबी की सदस्य नहीं है लेकिन ऐसे में आपके साथ क्या सेबी खड़ा रहेगा तमाम बातें आज के सेशन में माधवी पुरी बुच जिन्हें आपने पहले पार्लियामेंट्री पैनल जिसने पार्लियामेंट्री पैनल जिन्ह जिसने इन्हें बुलाया था हिंडन बर्ग मामले में जांच के लिए उस समय सुना था जिनके बारे में आपने सुना था कि इनके खिलाफ कार्मिक  प्रोटेस्ट कर रहे थे जब यह सेबी की हेड हुआ करती थी कांग्रेस ने इनके ऊपर काफी सारे एलिगेशंस लगाए थे क्योंकि इनका कनेक्शन अडानी से होना बताया गया था हिंडन बर्ग रिसर्च के द्वारा भी इन पर आरोप लगाया गया था अब फिलहाल उन सभी आरोपों के बाद अब इन पर एफआईआर की बात निकल कर आना फिर से एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि इनके खिलाफ क्या इन्हीं कारणों से एफआईआर दर्ज की जा रही है इसमें बुच समेत पांच अन्य लोगों का नाम भी है या कोई और मसला है क्या पुराने मामले हिंडन बर्ग या फिर टॉक्सिक वर्क कल्चर एट सेबी यह है या फिर कोई नया मसला है आज हम इन सारी बातों के बारे में जिक्र करेंगे एक बार ब्रीफ इंट्रो इस बात का कि आप कौन थी क्या करती थी साथ ही साथ में आपका स्थान किसने लिया है वो एक बार हम जान लेते हैं माधवपुरी बुच ने आईआईआई बैंक से अपने कैरियर की शुरुआत की थी अब एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रही शुरुआत में आईआईआई बैंक के साथ उसके बाद में आईआईआई सिक्योरिटीज की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ बनी 2011 में आप सिंगापुर गए और वहां जाकर ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल में इन्होंने काम किया 30 साल से अधिक का इनके पास फाइनेंशियल सेक्टर का अनुभव है साथ में यह एडवाइजरी कमेटी के साथ भी जुड़ी रही आप 2017 में सेबी के पूर्व चीफ अजय त्यागी के साथ सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में काम कर रही थी फाइनली 2022 में इन्हें 3 साल के लिए सेबी का चीफ नियुक्त किया गया इसका मतलब सेबी के साथ में इनका एक लंबा अनुभव रहा है सेबी सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया जिसके बारे में आप जाने तो जितने भी भारत का शेयर बाजार है उसके लिए लिस्ट होने वाली तमाम कंपनियां ट्रेडिंग के अंदर किसी भी प्रकार के अगर कोई भी गलत माल प्रैक्टिसेस हो रही हैं उन सब पर चेक एंड बैलेंस रखने वाली कम सरकारी संस्था है सेबी सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया जिसे भारत सरकार के द्वारा एक कानून के द्वारा स्थापित किया गया है सेब के लिए माधवी पुरी बुच के द्वारा जो अनुभव दिए गए वह तो काफी खास हैं ही साथ में आपने जिस तरह की पढ़ाई की वह भी काफी काबिले तारीफ कंसीडर की जाती रही ऐसे में आपके साथ फाइनेंशियल एनालिस्ट का काम आईआईआई बैंक से इनका जुड़ा रहना भी बाद में एक बार विवादों में भी आया खैर हम उन सब पर बहुत बार सेशन कर चुके हैं फिलहाल के लिए जिस चीज की हम चर्चा कर रहे हैं वह जानना आपके लिए जरूरी है और वह चर्चा यह है कि आपके इस का खंड में जितनी भी तमाम उपलब्धियां रही हो लेकिन आपके रिटायरमेंट  के साथ ही आपके ऊपर केस होना एक अलग से चर्चा खड़ी कर देता है कि जो काम आपके रहते नहीं हो पाए क्या कोर्ट ने उन्हीं चीजों पर जांच बिठाई है फिलहाल के लिए इनके स्थान पर तुहीन कांत पांडे जो कि भारत सरकार के वित्त सचिव रहे उन्हें सेबी का फिलहाल नया बुज के स्थान पर अध्यक्ष नियुक्त किया गया है वे 1987 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं और यह 7 सितंबर 20224 से वित्त सचिव के पद पर काम कर रहे थे हिन कांत पांडे फिलहाल भारत के नए से भी अध्यक्ष बना दिए गए हैं और आपके द्वारा बहुत सारी उपलब्धियों में सबसे बड़ी उपलब्धि एयर इंडिया के निजीकरण की थी साथ ही साथ भारत सरकार के सचिव के बराबर बराबर वेतन मान पाते हुए अब यह सेबी के अध्यक्ष के रूप में काम करने वाले हैं ठीक है तो आते हैं आज के वर्तमान मुद्दे पर वर्तमान मुद्दा क्या है उसे थोड़ा सा ब्रीफ करते हैं मुंबई की एक अदालत ने माधवी पुरी बुज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की परमिशन दे दी यह बात हुई एक जर्नलिस्ट सपन श्रीवास्तव के द्वारा की गई शिकायत के ऊपर सपन श्रीवास्तव ने जब इनके खिलाफ शिकायत की तो कोर्ट ने कहा ठीक है इनके खिलाफ हम एफआईआर दर्ज करने का आदेश देते हैं यह अदालत थी एंटी करप्शन कोर्ट जिसने पूर्व चेयरमैन माधवी पुरी बुच के खिलाफ शिकायत दर्ज करने  पर एफआईआर दर्ज कराने की बात को मान मान लिया गया आप कहेंगे एफआईआर तो पुलिस थाने में दर्ज होती है लेकिन यहां पर जो जर्नलिस्ट हैं वो कोर्ट पहुंचे और उन्होंने इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की अब बड़ा मामला यह है कि भाई इतने सारे विवाद हैं तो क्या उनमें से किसी एक विवाद के कारण है क्या तो मैं पहले ही क्लियर कर देता हूं नहीं मैं दो बार पहले बोल चुका हूं फिर से एक बार बोल देता हूं यह मसला पुराना मसला नहीं है मतलब इनके कालखंड से जुड़ा मसला नहीं है एक बहुत पुराना मामला है अब मैं उस तक आपको लेकर चल रहा हूं तो एक बार के लिए हम चलते हैं  इसमें पॉइंट यह है कि सपन श्रीवास्तव की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि स्टॉक एक्सचेंज में जो कंपनी लिस्टिंग के लिए आ रही थी उनके साथ फाइनेंशियल फ्रॉड और भ्रष्टाचार का आरोप रहा है बोले ऐसा क्या अब देखिए स्टॉक मार्केट में अगर किसी कंपनी को लिस्ट होने जाना है तो वो वाया सेबी होकर जाएगा तो सेबी और कॉरपोरेट संस्थाओं के बीच एक मिली भगत और इनसाइडर ट्रेडिंग और लिस्टिंग के बाद पब्लिक फंड की हेराफेरी इन सबके आरोप लगाए गए हैं फिलहाल के लिए एडिशनल पब्लिक प्रोसीक प्रभाकर तरंगे और राज लक्ष्मी भंडारी जो हैं वो महाराष्ट्र सरकार की तरफ से यहा पर कोर्ट के अंदर प्रस्तुत हुए थे तो स्पेशल एसीबी के द्वारा कोर्ट के द्वारा इनके खिलाफ रिलेवेंट प्रोविजंस ऑफ आईपीसी प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट सेबी एक्ट और अदर एप्लीकेबल लॉज के तहत एफआईआर दर्ज कराने की इजाजत दे दी गई है अच्छा कोर्ट ने एफआईआर के अंदर जिन-जिन चीजों का उल्लेख किया उसमें यही था कि भाई मामले के अंदर गहराई है इसलिए इस मामले को दर्ज किया जाना चाहिए अब आप पूछेंगे कि ऐसी जो धाराएं हैं जिनके तहत सीबी की ची पूर्व चीफ के ऊपर अगर केस दर्ज हुआ है तो उसमें और कौन व्यक्ति शामिल है तो ये सारे उन लोगों के लिस्ट के नाम है इसमें होल टाइम मेंबर अश्विनी भाटिया होल टाइम मेंबर अनंत नारायण होल टाइम मेंबर कमलेश चंद्र वासने चेयरमैन बीएससी के प्रमोद अग्रवाल और बीएससी के सीईओ सुंदरम राममूर्ति के नाम भी शामिल हैं ठीक है साहब सेब लेकिन इस मसले पर कह रही है कि जो शिकायत करने वाला व्यक्ति है वो आदतन मुकदमे बाज है यानी उसकी आदत है कि वो मुकदमे दर्ज कराता रहता है तो उसके मुकदमे से प्रेरित होकर के कोर्ट को आदेश नहीं देना चाहिए था लेकिन साहब आदतन मुकदमे बाज ने ऐसा कौन सा मसला ला दिया जिसके चलते कोर्ट को परेशान होना पड़ा तो चलिए मैं अब आपको इतिहास में लेकर चलता हूं असल में कहानी कुछ इस प्रकार से हैय जो पत्रकार है सपन श्रीवास्तव उसने आरोप लगाया है कि एक कंपनी थी जिसका नाम था कैल रिफाइनरी लिमिटेड बोले इन्होंने कैल रिफाइनरी लिमिटेड की डलेट लिस्टिंग करी यानी कि गड़बड़ झाला करके स्टॉक मार्केट में उसे लिस्ट करवा दिया कब करवा दिया 1994 में अब आपके दिमाग में पहला प्रश्न आना चाहिए कि 1994 में तो माधवी पुरी बुच थी नहीं 2017 के अंदर आप मेंबर बनी है और 2025 तक आपका 25 तक आपका कार्यकाल रहा है ऐसे में गड़बड़ कहां कर दी गई इसने कहा यानी इस पत्रकार का आरोप है कि बीएससी में इन्होंने इस प्रकार से 2024 में लिस्टिंग  करवाई जिसकी वजह से इन्वेस्टर्स का लॉस हुआ सपन श्रीवास्तव कहते हैं कि इनके भी शेयर्स थे केल्स रिफाइनरी के अंदर और चूंकि वोह फ्रॉड कर गई थी थी इस वजह से इनको पार्टी बनाया जाना चाहिए क्योंकि उस व्यक्ति का नुकसान हुआ अब पहला बड़ा सवाल जो यहीं पर खड़ा हो जाता है व यह है कि भाई अल्टीमेटली केल्स रिफाइनरी लिमिटेड का 1994 का माधवी पुरी बुच से क्या कनेक्शन हो सकता है तो चलिए इस मामले को थोड़ा आगे बताते हैं कैल रिफाइनरी लिमिटेड यह आपको दिखाई दे रहा है जिसकी मार्केट कैप भी आपको दिखाई दे रही है मार्केट के अंदर ये वो कंपनी थी जो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हुई थी लेकिन इसे 8 साल पहले ही सेबी के द्वारा काम करने से रोक दिया गया है यानी कि ट्रेड करने से रोक दिया गया है अब आप पूछेंगे कि मामला क्या था सेबी ने इसको रोक दिया तो पहला सवाल तो 1994 में आई थी लिस्ट होने और फिर सेबी के द्वारा इसको काम करने से रोक दिया गया ऐसा इसने क्या काम कर दिया था तो साहब इसने एक घोटाला किया था उस कंपनी के घोटाले का नाम था ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीप्ट उसको लेकर के जीडीआर घोटाला किया था अब यह जीडीआर क्या होता है पहले हम यह समझेंगे फिर इस स्कैम को समझेंगे और माधवी पुरी बुच का कनेक्शन समझेंगे,  कैल रिफाइनरी तक यात्रा करते हैं ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीप्ट को समझते हुए ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीप्ट को समझे उससे पहले कुछ तारीखों पर नजर डालें 2011 की एक खबर देख रहे हैं आप सेबी ने जीडीआर स्कैम को खोज निकाला जिसमें कैल रिफाइनरी का नाम निकल कर आया जीडीआर रिफा कैल रिफाइनरी जीडीआर क्या है तो जीडीआर है ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीप्ट अच्छा अब ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीप्ट के ऊपर 2011 का मसला निकल कर आया हैं मैसिव ट्रेडिंग इन पेनी स्टॉक इन केल्स रिफाइनरी 2010 की एक खबर है जिसमें आप देख रहे हैं कि इनके स्टॉक में गजब का ट्रेड हुआ है और फिर आप देख रहे हैं 2011 में सेबी ने इनको जीडीआर स्कैम में पकड़ लिया है और यहां पर आपको यह कैल रिफाइनरी लिखाई दिखाई दे रहा है सात कंपनियां पकड़ी गई थी ठीक है 2010 की यह खबर और देख रहे हैं इंडिया की कैल रिफाइनरी ने कुवैती फंडिंग प्राप्त की है इन खबरों को एक बार के लिए बस सुनते चलें और आप देखें कि पेनी स्टॉक का जो शेयर है यह इस दौर में बढ़िया वॉल्यूम्स के साथ बढ़िया हाई प्राइसेस टच किया है मतलब पेनी स्टॉक जो रुपया के बराबर का शेयर था वो बढ़िया नंबर पर निकल कर गया है अच्छा तो अब कहानी क्या है अब उसको हम एक बार के लिए डिटेल में समझते हैं 1994 के अंदर कैल रिफाइनरी लिमिटेड आई बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के अंदर बिना कोई खास डॉक्यूमेंट फिल किए सेबी एक्ट 1992 के तहत लिस्टेड हो जाती है 2018 में इसको काम करने से रोक दिया जाता है एनसीएलटी ने कहा कि इसके जितने भी शेयर्स हैं उनको लिक्विडेट करके इसको खत्म कर दिया जाए क्योंकि यह बर्बाद हो चुकी कंपनी है अब आप कहेंगे कि जिस कंपनी ने इतना कुछ किया उसको लिक्विडेट कर दिया मार्के में जिसकी खबर रही उसके ऊपर 17 करोड़ का 2021 में फाइन लग गया सेबी ने  17 करोड़ का इस पर फाइन लगा दिया आफ्टर ऑल मसला है क्या चलिए अब मैं आपको थोड़ा सा मसला पुराना पीछे से लेकर के समझाता हूं देखिए आप अगर यहां देख रहे हैं मैसिव ट्रेडिंग पैटर्न इन कैल रिफाइनरी पहले इस खबर को ही आप पकड़ लें देखिए 0.33 पैसे का इनका स्टॉक हुआ करता था लेकिन न्यूज़ बनी कि इनका स्टॉक जबरदस्त तरीके से बिकने लगा अब दो खबरों को एक साथ पकड़े आप पहला ये एक रप से कम का स्टॉक जिसे आप पेनी स्टॉक कहते हैं एक रप से कम का शेयर और दूसरी खबर पढ़ रहे हैं कि उसको कुवैत की फंडिंग मिल जा रही है ये दो बातें अपने आप में एक साथ जुड़ने वाली है तो पटाक से इसको समझते हैं देखो हुआ क्या ना इस कंपनी ने एक खेला किया क्या खेला किया ये जीडीआर का खेला किया इसने डिपॉजिटरी रिसीप्ट का खेला किया कैसे किया आसान भाषा में समझते हैं देखिए इस व्यक्ति ने अपनी तरफ से जीडीआर ले जाकर बाहर बेच दी एफआईआई को और एफआईआई ने इंडियन मार्केट में उसके भाव बढ़ा दिए जिससे इस स्टॉक के अंदर मार्केट रेट में प्राइस के अंदर वेरिएशन देखने को मिला और भाव इस तरह से आसमान में चढ़ गए आप कहेंगे सर ये तो कोई बात ही नहीं हुई हमें तो समझ में ही नहीं आया क्या खेला हुआ इसमें स्कैम क्या है अब स्कैम को समझते हैं, कैल रिफाइनरी नाम की एक कोई कंपनी है जिसने 0.33 पैसे का एक स्टॉक निकाला 0.33 का है ना स्टॉक निकाला यानी एक शेयर की कीमत ये निकाली  है पेनी स्टॉक्स को जनरली लोग या तो परचेज नहीं करते और अब ये जीडीआर क्या होता है मैं जल्दी से इस आ जाता हूं देखिए मान लीजिए कि मेरे पास 10 शेयर है किसी कंपनी के और मैं देश के बाहर जाकर के किसी दूसरे देश में एक व्यक्ति को पकड़ता हूं और कहता हूं कि देखो भाई 10 शेयर टेक्निकली तो हुए ₹ 33 पैसे के लेकिन मैं आप लोगों को यह तीन ये 10 शेयर जो हैं ये दे सकता हूं

हमारे स्टॉक मार्केट में निवेश करने तो एक तरीका अपना रखा था देश ने जीडीआर का जिसके प्राइसेस नेगोशिएबल होते थे नेगोशिएबल से मतलब है कि टेक्निकली तो 33 पैसे का स्टॉक है और 10 शेयर अगर बेचे तो ₹ 33.33 पैसे के होंगे लेकिन चूंकि इसमें नेगोशिएशन हो सकता है इसलिए 333 का बल्क में भाव आपने ₹ टिका कर के इस टोकन को एक्सचेंज कर दिया सामने वाले व्यक्ति के साथ और कहा कि ले भाई जाकर के अब तू खुद इन इस टोकन से 10 शेयर खरीद लेना मेरे को बल्क में डील करनी थी इसलिए मैंने कर दी अब आप पूछेंगे कि  इसमें कंपनी का क्या फायदा जीडीआर निकालने से क्या फायदा बहुत बड़ा खेल है इसमें क्या खेल है वो समझो देखो अगर कंपनी जीडीआर निकालती है तो 33 पैसे का जो शेयर है ना मार्केट को अचानक दिखने लगेगा कि इतने शेयर बिक गए ये खेल देखो यहां पे वॉल्यूम दिखने लगेगा कि यार इतने शेयर कैसे बिक रहे हैं मतलब इतना बड़ा वॉल्यूम कैसे खड़ा है इतने सारे लोग इंटरेस्ट क्यों ले रहे हैं और अच्छा भारत के शेयर बाजार की हमेशा से एक आदत रही है दुनिया को जैसा करता देखते हैं हम उस तरफ कूद पड़ते हैं देखा कि इतने सारे लोग खरीद रहे हैं बड़ा वॉल्यूम क्रिएट हो गया है तो चलो हम भी खरीद लेते हैं तो देखो आपने क्या किया सस्ते में माल बेचकर अपने दुकान पर भीड़ इकट्ठी कर ली बाहर माल बेचने का इंस्ट्रूमेंट क्या था जीडीआर जीडीआर का मतलब क्या था एक टोकन जिसके बदले मिनिमम 10 शेयर लिए जा सकते हैं आपने काफी सारे शेयर का भी जीडीआर निकाल सकते हो कि मैं 10 नहीं 100 का निकालूं 1000 का निकालूं तमाम बातें क्लियर है इसका मतलब इन्होंने एक हाइप क्रिएट करवाया कि देखो हमारे पेनी स्टॉक के अंदर एफआईआई को इंटरेस्ट आ गया है और जब एफआईआई को इंटरेस्ट आया है तो हमारे देश में क्या होता है बहुत तेजी से खरीददारी दिखने लगती है और जैसे ही वॉल्यूम दिखने लगता है ट्रेड में तो तुरंत लोग कूद पड़ते हैं कि अरे भाई बहुत सारे लोग इवॉल्व हो गए हैं मार्केट ऊपर जाएगा आप सोचो मार्केट ऊपर चलते-चलते 1.63 तक पहुंच गया सुनने के लिए आपको लग सकता है कि कितना बड़ा है भाई आप सोचे 33 पैसे से 11.6 पैसे तक पहुंचना कितने टाइम्स हो गया ये आप इससे अंदाजा लगाइए 33 गुना के आसपास ये मतलब पैसा पहुंच गया इसका है ना स्टॉक की प्राइस पहुंच गई तो किसी का ₹ था तो ₹ बन गया आप ऐसे समझ कर देखें तो इसका मतलब इन्होंने एक मतलब गलत तरीके से हाइप क्रिएट करवाई मार्केट के अंदर एफआईआई को लाकर के आप पूछेंगे तो क्या एफआईआई बेवकूफ थे जो इतना पैसा लगाकर चले गए इनके साथ में नहीं नहीं बेवकूफ नहीं थे उनको कहा गया था कि आप जब देखेंगे कि मार्केट का भाव चढ़ रहा है आप हमसे इतने में खरीद लो और जब चढ़ने लगे तो आप बेच कर निकल लेना मैं तो आपको ₹ में दे रहा हूं आप बकायदा 333 का स्टॉक समझ कर के भी अगर बेचते हो तो भाई साहब ₹ 33 का आपको मिलेगा ₹10 तो आपके लिए तो यह बहुत जबरदस्त स्कीम हो गई ना तो सामने वाले लोग कन्विंसिबल से इस कंपनी ने जीडीआर का लाभ उठाया उम्मीद है कि ब्रीफ टर्म में आपको यह बात समझ में आई हो नहीं आई होगी अब आप कहेंगे कि यह मसला तो बहुत पुराना है तो इसमें माधवी पूरी बुज का क्या लेना देना तो देखो साहब बुझको  ये लेना देना है कि इस मार्केट के अंदर इस कंपनी ने गजब धूम मचाई पनी स्टॉक्स के अंदर तगड़ी बहार आई अब आरोप यह है कि मैडम जब आई है उसके बाद से लेकर अब तक इस पर कोई कारवाई क्यों नहीं हुई जबकि शेयर बाजार के अंदर जितनी कारवाई होनी थी मैंने आपको सारी दिखाई कि इसके ऊपर सा इसको पूरी तरह से काम करने से रोक दिया गया यह जब बात पता चली तो इसको काम करने से केल्स को रोक दिया गया साथ में इसके ऊपर जांच बिठा दी गई साथ में इसके ऊपर जो भी एक्शन लेने थे  करोडो  की पेनल्टी लगानी थी वो पेनल्टी तक इसके ऊपर लगा दी गई सब बातें हुई लेकिन इस आदमी का मानना है कि माधवी पूरी कुछ और कुछ कर सकती थी पर नहीं किया बस नहीं किया इसलिए उनके खिलाफ में शिकायत हुई है देखिए सेबी के द्वारा 17 करोड़ का इनके ऊपर फाइन लगाया गया था कैल कैल्स रिफाइनरी के ऊपर पुराने जमाने के कांड पर अभी तो इनका कहना है कि आप मेरा बदला बड़ा ले सकते थे इस केस को और बड़ा कर सकते थे आपने नहीं किया बस यह गलती है तो पॉइंट नंबर वन अगर आपको यह बात समझ में आ रही है कि ऐसे में कैल रिफाइनरी का जो मामला है वो पुराना मामला है उस मामले में माधवपुरी बुज थी भी नहीं जिस मामले के लिए उनको लपेटा गया है लेकिन कोर्ट ने इस बात को सुना है तो सेबी का कहना है कि हम अपनी बात जब रखेंगे तो ये बातें क्लियर हो जाएंगी कि इससे इनका कुछ लेना देना है ही नहीं इसलिए सेब खुद जाकर इस मामले को चैलेंज करने वाली है लेकिन मसला क्या है कि माधवी पुरी बुज का नाम इतना सुर्खियों में रहा है कि वो जो पत्रकार है जिसके द्वारा ये कहा जाता है कि मतलब उसके बारे  में सेबी ने भी कहा है कि वो आदतन शिकायत करता है है ना तो मतलब इस तरह कि वो खबरें बनाता ही है तो ऐसे में सेवी का खुद मानना है कि भाई कोई बात नहीं उन्होंने शिकायत की है हम जाकर जवाब दे देंगे पुराना मामला है उससे हमारा कोई लेना देना नहीं है लेकिन हां एक चीज आप लोगों को जरूर यहां से आज पता चली और वो थी जीडीआर स्कैम के बारे में जिसे हम डिटेल में आपको और बताएंगे ठीक है बाकी फिलहाल के लिए स्टॉक मार्केट के अंदर इसीलिए मैं अक्सर कहता हूं कि म्यूचुअल फंड लेने हो या शेयर परचेज करने हो आपको आवश्यक है प्रॉपर नॉलेज की मतलब आपको पता होना चाहिए

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