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भारत में पहली बार मासिक बेरोजगारी दर जारी: अप्रैल में 5.1% पर पहुँची बेरोजगारी

लेखक: Global Updates | श्रेणी: अर्थव्यवस्था, रोजगार | तिथि: 17 मई 2025


🔍 मुख्य बिंदु:

  • भारत सरकार ने पहली बार मासिक बेरोजगारी आँकड़े जारी किए हैं

  • अप्रैल 2025 में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 5.1% रही

  • शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 6.5%, ग्रामीण क्षेत्रों में 4.5%

  • युवाओं (15-29 वर्ष) में बेरोजगारी दर चिंताजनक रूप से 13.8%

  • यह डेटा MoSPI (सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय) द्वारा PLFS के तहत एकत्रित किया गया है

  • हर महीने यह आँकड़े अब नियमित रूप से जारी किए जाएंगे


📊 आखिर क्यों ज़रूरी है मासिक बेरोजगारी डेटा?

भारत जैसे विशाल और विविधता वाले देश में यह समझना बेहद आवश्यक है कि किन क्षेत्रों, आयु वर्गों और लिंग में बेरोजगारी अधिक है। अब तक भारत में बेरोजगारी से जुड़ा डेटा सालाना या कभी-कभी तिमाही आधार पर आता था, वह भी अक्सर कई महीनों की देरी से। इससे नीति निर्माताओं को सही समय पर सही निर्णय लेने में कठिनाई होती थी।

अब मासिक आंकड़ों की शुरुआत से यह संभव हो पाएगा कि सरकार तुरंत उस क्षेत्र या वर्ग में हस्तक्षेप कर सके जहाँ समस्या गंभीर हो। यह एक बड़ा कदम है डेटा आधारित नीति निर्माण की दिशा में।


🧠 डेटा का विश्लेषण: अप्रैल 2025

क्षेत्र बेरोजगारी दर (%)
राष्ट्रीय औसत 5.1%
शहरी भारत 6.5%
ग्रामीण भारत 4.5%
  • पुरुषों की बेरोजगारी दर: 5.2%

  • महिलाओं की बेरोजगारी दर: 5.0%

  • युवाओं की बेरोजगारी दर (15-29 वर्ष): 13.8%

    • शहरी युवा: 17.2%

    • ग्रामीण युवा: 12.3%


📈 अन्य श्रम से जुड़े आँकड़े:

  • श्रम बल भागीदारी दर (Labour Force Participation Rate – LFPR):

    • कुल: 55.6%

    • ग्रामीण: 58%

    • शहरी: 50.7%

  • वर्कर पॉपुलेशन रेशियो (Worker Population Ratio – WPR):

    • कुल: 52.8%

    • ग्रामीण: 55.4%

    • शहरी: 47.4%


🌐 वैश्विक मानकों की ओर एक कदम

अब भारत भी अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों की तरह हर महीने बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े जारी करेगा। इससे भारत में लेबर मार्केट ट्रेंड्स को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा और पॉलिसी रिस्पॉन्स तेज हो पाएगा।


🗣️ क्या बदल सकता है यह कदम?

  • बेरोजगारी की वास्तविक तस्वीर सामने आएगी

  • युवाओं के लिए नयी योजनाएँ और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम तैयार किए जा सकेंगे

  • सरकार को इलाके अनुसार टार्गेटेड योजना बनाने में मदद मिलेगी

  • देश में ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटबिलिटी बढ़ेगी


📝 निष्कर्ष

भारत में पहली बार मासिक आधार पर बेरोजगारी आंकड़े जारी करना ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल नीति निर्माण को सशक्त बनाएगा, बल्कि आम जनता को भी रोजगार के अवसरों के बारे में बेहतर जानकारी देगा। अब जरूरत है कि इस डेटा के आधार पर योजनाएं जमीनी स्तर तक पहुँचे और रोजगार सृजन को नई दिशा दी जाए।

 

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