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भारत में बनेगा राफेल फाइटर जेट का हिस्सा: टाटा-डसॉल्ट डील से ‘मेक इन इंडिया’ को नई उड़ान

📰 परिचय

भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। फ्रांसीसी फाइटर जेट निर्माता कंपनी Dassault Aviation और भारतीय कंपनी Tata Advanced Systems Ltd. (TASL) के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत, भारत में अब राफेल लड़ाकू विमान के मुख्य ढांचे (Fuselage) का निर्माण किया जाएगा।


🇮🇳 डील की मुख्य बातें:

  • Dassault Aviation और Tata Advanced Systems ने भारत में राफेल के फ्यूजलेज निर्माण को लेकर करार किया है।

  • यह पहली बार होगा जब Dassault, फ्रांस के बाहर अपने किसी फाइटर जेट का ढांचा बनाएगा।

  • निर्माण कार्य हैदराबाद में Tata की उन्नत डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में किया जाएगा।

  • पहली यूनिट 2028 तक असेंबली के लिए तैयार होगी। शुरुआत में हर महीने दो फ्यूजलेज यूनिट्स बनाए जाने की योजना है।


🧠 फ्यूजलेज (Fuselage) क्या है?

फ्यूजलेज, किसी भी विमान का मूल ढांचा होता है जिसमें:

  • कॉकपिट

  • फ्यूल टैंक

  • एविओनिक्स सिस्टम

  • आर्मामेंट्स (हथियार)

  • सेंसर और रडार सिस्टम

लगाए जाते हैं। इसका निर्माण किसी भी फाइटर जेट की तकनीकी रीढ़ होता है। इस कारण, यह डील भारत की तकनीकी क्षमता को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाती है।


🔍 क्या भारत अब राफेल पूरी तरह से बना सकेगा?

नहीं, अभी केवल फ्यूजलेज का निर्माण भारत में होगा। राफेल का इंजन, एविओनिक्स, और हथियार प्रणाली जैसे जटिल हिस्से अभी भी फ्रांस में बनाए जाएंगे। लेकिन यह कदम भविष्य में भारत को:

  • तकनीक ट्रांसफर की ओर ले जा सकता है।

  • स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगा।

  • भविष्य में भारत को फाइटर जेट्स में आत्मनिर्भर बना सकता है।


🔬 क्या इसका संबंध कावेरी इंजन प्रोजेक्ट से है?

भारत पहले से GTRE-Kaveri नामक स्वदेशी इंजन प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, लेकिन उसमें कई तकनीकी चुनौतियाँ हैं। फ्रांस जैसे देश से तकनीक साझेदारी की उम्मीद इस डील से कुछ हद तक बढ़ सकती है, हालांकि इंजन तकनीक अभी साझा नहीं की गई है।


💡 रणनीतिक महत्व:

  1. भारत अब सिर्फ फाइटर जेट्स खरीदने वाला देश नहीं, उसके उत्पादन का हिस्सा भी बनेगा।

  2. इससे भारत की डिफेंस एक्सपोर्ट क्षमता में भी इज़ाफा हो सकता है।

  3. यह डील ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को मजबूती देती है।


🔚 निष्कर्ष:

Tata-Dassault की यह डील भले ही अभी छोटे स्तर पर है, लेकिन इसका रणनीतिक और तकनीकी महत्व बहुत बड़ा है। यह भारत को वैश्विक रक्षा विनिर्माण मानचित्र पर लाने की दिशा में एक ठोस पहल ह

 

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