वक्फ कानून क्या है और क्यों बना विवाद का कारण?
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को संसद में पास किए जाने के बाद, 8 अप्रैल 2025 को केंद्र सरकार ने इसे पूरे देश में लागू कर दिया। लेकिन इसके साथ ही यह कानून कई विवादों में घिर गया है।
🔴 मुख्य आपत्तियाँ:
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“वक्फ बाय यूजर” की अवधारणा को हटाना
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संपत्तियों के अधिग्रहण से जुड़ी प्रक्रियाएं
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पारदर्शिता की कमी और स्थानीय निवासियों की आपत्तियों की अनदेखी
⚖️ सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ? | Supreme Court Hearing on Waqf Act
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अब तक 70 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जा चुकी हैं, जो वक्फ कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दे रही हैं।
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इन याचिकाओं पर CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता में दो दिन सुनवाई हुई।
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कोर्ट ने फिलहाल कोई स्थगन (Stay) नहीं दिया है, लेकिन अंतरिम आदेश (Interim Order) जारी किया गया है जिसकी डिटेल्स जल्द सार्वजनिक होंगी।
🗣️ कौन-कौन हैं याचिकाकर्ता? | Prominent Petitioners
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असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM प्रमुख)
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अमानतुल्लाह खान (AAP विधायक, दिल्ली)
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महुआ मोइत्रा (TMC सांसद)
इसके अलावा, कई नागरिक संस्थाएं और सामाजिक कार्यकर्ता भी याचिकाकर्ता हैं।
🟢 वक्फ कानून के समर्थन में राज्य | States Supporting the Act
कुछ राज्य सरकारें इस कानून के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं, जिनमें शामिल हैं:
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असम
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राजस्थान
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छत्तीसगढ़
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उत्तराखंड
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हरियाणा
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महाराष्ट्र
इन राज्यों का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है।
❌ गलतफहमियाँ और फैलाई गई अफवाहें | Fake News Alert
सुनवाई के बाद कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में झूठा दावा किया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने कानून पर स्टे लगा दिया है।
सच्चाई: कोर्ट ने कानून पर स्टे नहीं लगाया है, सिर्फ अंतरिम आदेश दिया है जो अभी सार्वजनिक नहीं हुआ।
📌 निष्कर्ष | Conclusion
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर कानूनी, सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर बहस तेज़ हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट में लंबी सुनवाई और 70 से अधिक याचिकाएं इस बात का प्रमाण हैं कि यह कानून व्यापक प्रभाव डाल सकता है।
आने वाले दिनों में अदालत का अंतिम निर्णय न सिर्फ वक्फ कानून के भविष्य को तय करेगा, बल्कि यह भी निर्धारित करेगा कि देश में धार्मिक और सार्वजनिक संपत्तियों के प्रबंधन का क्या मॉडल अपनाया जाएगा।














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