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मालदीव्स मे तख्ता पलट की साजिश :मालदीव्स में राजनीतिक उथल-पुथल और आर्थिक चुनौतियां

मालदीव्स में राजनीतिक उथल-पुथल और आर्थिक चुनौतियां

 

नई दिल्ली, 14 मार्च 2025 — दक्षिण एशियाई देशों में राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट के बीच, मालदीव्स एक गंभीर संकट के केंद्र में है। राष्ट्रपति मोहम्मद मुज्जू ने अपनी सरकार को गिराने की साजिश का आरोप लगाया है, जो इस क्षेत्र में बढ़ते राजनीतिक संकट का एक और उदाहरण है। मालदीव्स अब पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों की तरह नेतृत्व संबंधी चुनौतियों और आर्थिक दबावों का सामना कर रहा है।

तख्तापलट की साजिश का दावा

राष्ट्रपति मुज्जू ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से अपनी सरकार के खिलाफ साजिश का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वित्तीय तख्तापलट की कोशिश की जा रही है। मालदीव्स पुलिस ने इन आरोपों की जांच शुरू कर दी है। राष्ट्रपति ने बैंकिंग प्रणाली के भीतर कुछ संस्थाओं पर बिना उनकी अनुमति के आदेश जारी करने का आरोप लगाया। इन आदेशों में विदेशी मुद्रा निकासी को $100 तक सीमित कर दिया गया, जिससे नागरिकों और वित्तीय विशेषज्ञों के बीच चिंता बढ़ गई।

आर्थिक संकट पर ध्यान केंद्रित

ये वित्तीय प्रतिबंध मालदीव्स की खराब आर्थिक स्थिति को उजागर करते हैं। देश के पास केवल $588 मिलियन का विदेशी मुद्रा भंडार है, जबकि उस पर $8.2 बिलियन का विदेशी कर्ज है। यह कर्ज राष्ट्रीय जीडीपी $7 बिलियन से 110% अधिक है। इस कर्ज का वार्षिक भुगतान लगभग $500 मिलियन है, जो देश के कुल विदेशी भंडार के बराबर है।

अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों, जैसे कि आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक, ने पहले ही देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को लेकर चेतावनी दी है। बैंक ऑफ मालदीव्स द्वारा डॉलर लेनदेन पर सीमा लगाने का हालिया निर्णय संकट की गंभीरता को दर्शाता है।

पड़ोसी देशों के साथ समानताएं

मालदीव्स में ये घटनाक्रम पड़ोसी देशों में राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में हो रहे हैं। पाकिस्तान में इमरान खान की सत्ता से बेदखली, श्रीलंका में राजपक्ष परिवार का पतन, और बांग्लादेश में शेख हसीना द्वारा बाहरी साजिशों की आशंका व्यक्त करना, यह सब क्षेत्रीय राजनीति में बाहरी प्रभावों को लेकर बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है। मालदीव्स में राष्ट्रपति मुज्जू के आरोप इन दावों को प्रतिबिंबित करते हैं।

आगे की चुनौतियां

पहले से ही संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था के साथ, मालदीव्स को स्थिरता बनाए रखने के लिए कठिन संघर्ष करना होगा। जैसे-जैसे कर्ज पुनर्गठन की आवश्यकता बढ़ती जा रही है, विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2029 तक देश को हर साल अरबों डॉलर चुकाने पड़ सकते हैं। यह सवाल उठाता है कि वर्तमान आर्थिक और राजनीतिक ढांचे की स्थिरता कितनी टिकाऊ है।

राष्ट्रपति मुज्जू के आरोप और चल रही जांच ने देश की संस्थाओं की नाजुकता को उजागर किया है। क्या देश इन कठिन समयों से उबर पाएगा, यह अनिश्चित है। लेकिन एक बात स्पष्ट है — मालदीव्स एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, और आगे की अराजकता को रोकने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक होगी।

मालदीव्स: गहराता संकट और चुनौतियां

मालदीव्स का आर्थिक और राजनीतिक संकट लगातार गहराता जा रहा है। राष्ट्रपति मोहम्मद मुज्जू के दावों और देश की वित्तीय स्थिति ने वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। संकट से जुड़ी कुछ अतिरिक्त महत्वपूर्ण बातें:

1. विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति: मालदीव्स का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ़ $588 मिलियन है। इसकी तुलना में कर्ज $8.2 बिलियन तक पहुंच चुका है। यह स्थिति न केवल गंभीर वित्तीय दबाव को दर्शाती है बल्कि यह देश की भुगतान क्षमता पर सवाल खड़े करती है।

2. कर्ज की भारी भरपाई: मालदीव्स को हर साल $500 मिलियन का कर्ज चुकाना पड़ता है, जो उसके कुल विदेशी मुद्रा भंडार के बराबर है। इसके कारण देश की अर्थव्यवस्था पर निरंतर तनाव बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि वर्ष 2029 तक यह वार्षिक भुगतान अरबों में पहुंच सकता है।

3. राजनीतिक अस्थिरता का प्रभाव: राष्ट्रपति मुज्जू के बयानों ने देश के भीतर साजिशों और सत्ता संघर्ष की आशंका को बढ़ा दिया है। राजनीतिक अस्थिरता के चलते, अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है।

4. बैंकिंग सिस्टम पर नियंत्रण: बैंक ऑफ मालदीव्स द्वारा विदेशी मुद्रा पर $100 की सीमा लगाने के आदेश ने सरकार और बैंकिंग प्रणाली के बीच तनाव पैदा कर दिया। राष्ट्रपति ने इसे वित्तीय तख्तापलट की साजिश करार देते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

5. क्षेत्रीय और वैश्विक संदर्भ: मालदीव्स का संकट पड़ोसी देशों में राजनीतिक बदलावों और अस्थिरता की पृष्ठभूमि में हो रहा है। यह क्षेत्रीय स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय है।

इस संकट के समाधान के लिए राजनीतिक स्थिरता, प्रभावी आर्थिक प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय समर्थन की आवश्यकता है। मालदीव्स की स्थिति नाजुक है और इसे स्थिरता प्रदान करने के लिए तत्काल प्रयास आवश्यक हैं।

यह मुद्दा दिन प्रतिदिन गंभीर होता जा रहा है। आपके विचार क्या हैं इस पर? अगर आप और जानकारी या विश्लेषण चाहते हैं, तो मुझे बताएं!

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