लेखक: Global Updates | तारीख: 10 मई 2025
नई दिल्ली – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को $2.4 बिलियन (करीब 20 हजार करोड़ रुपये) का नया कर्ज़ मंज़ूर किया है। इस निर्णय के तहत IMF ने दो अलग-अलग स्कीमों के माध्यम से पाकिस्तान को आर्थिक सहायता दी है: एक $1 बिलियन का लोन Extended Fund Facility (EFF) के तहत और दूसरा $1.4 बिलियन का लोन Resilience and Sustainability Facility (RSF) के जरिए।
जहां IMF के इस निर्णय पर कई देशों ने समर्थन जताया, वहीं भारत ने न तो समर्थन किया और न ही विरोध में वोट डाला, बल्कि मतदान से अब्सटेन (Abstain) कर गया। भारत के इस निर्णय पर कई सवाल उठे — आखिर जब भारत खुद कह रहा है कि पाकिस्तान आतंक को पालता है, तो उसने विरोध में वोट क्यों नहीं किया?
IMF की फंडिंग: पाकिस्तान को क्यों मिल रहा पैसा?
1. Extended Fund Facility (EFF):
यह एक आर्थिक सहायता योजना है जो उन देशों को दी जाती है जो बैलेंस ऑफ पेमेंट (Balance of Payments) संकट से जूझ रहे हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से गहरे संकट में है — बढ़ती महंगाई, विदेशी मुद्रा की कमी, और विदेशी निवेश में गिरावट जैसे कारणों से देश बार-बार IMF के पास सहायता के लिए पहुंचता है।
2023 में शुरू हुए इस प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान को कुल $3 बिलियन तक की सहायता दी जानी थी, जिसमें से हाल ही में $1 बिलियन की नई किश्त पास की गई है।
2. Resilience and Sustainability Facility (RSF):
यह स्कीम खासतौर पर क्लाइमेट चेंज और सस्टेनेबिलिटी को लेकर बनाई गई है। इसमें उन देशों को मदद दी जाती है जो जलवायु संकट, बाढ़, सूखा या पर्यावरणीय समस्याओं से जूझ रहे हैं।
पाकिस्तान में 2022 में आई भीषण बाढ़ और मौजूदा जल संकट (Water Stress) को देखते हुए IMF ने इसे एक वैध कारण मानते हुए $1.4 बिलियन का अतिरिक्त लोन मंज़ूर किया।
भारत ने क्यों जताई आपत्ति?
भारत ने IMF की बोर्ड बैठक में औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई थी। भारत का कहना है कि:
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यह फंडिंग “बिना किसी जवाबदेही” (Without Accountability) के दी जा रही है।
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इससे पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने का मौका मिलेगा।
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भारत ने कहा कि IMF जैसे वैश्विक संस्थानों को अपने निर्णयों में ग्लोबल वैल्यूज़ और रूल-बेस्ड ऑर्डर का पालन करना चाहिए।
IMF की कार्यकारी बोर्ड में भारत का प्रतिनिधित्व वित्त मंत्रालय द्वारा किया जाता है और वहां भारत का एक छोटा लेकिन अहम वोटिंग शेयर है।
भारत ने ‘No’ वोट क्यों नहीं दिया?
इसका जवाब थोड़ा रणनीतिक है। भारत ने वोटिंग में हिस्सा न लेकर (Abstain करके) एक संदेश दिया कि वह इस फैसले का समर्थन नहीं करता, लेकिन वह सीधा टकराव या राजनीतिक संकट नहीं चाहता।
राजनीति विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत यह भी नहीं चाहता कि वह अकेले ‘No’ वोट देकर खुद को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग कर ले, खासकर तब जब अमेरिका और यूरोप जैसे देश पाकिस्तान की मदद के पक्ष में हैं।
क्या IMF की छवि पर असर पड़ेगा?
IMF जैसी संस्था की जिम्मेदारी है कि वह अपने फंड्स का उचित उपयोग सुनिश्चित करे। लेकिन जब बार-बार यह आरोप लगते हैं कि पाकिस्तान इन पैसों का इस्तेमाल आतंकी संगठनों और सैन्य ठिकानों को मज़बूत करने में करता है, तो IMF की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
निष्कर्ष:
भारत का यह कदम एक कूटनीतिक रणनीति के तहत लिया गया प्रतीत होता है। IMF का पाकिस्तान को लोन देना एक आर्थिक निर्णय है, लेकिन इसके राजनीतिक और सुरक्षा से जुड़े परिणाम भारत जैसे देशों के लिए चिंताजनक हैं।
अब यह देखना अहम होगा कि क्या IMF पाकिस्तान को मिली रकम के उपयोग की निगरानी करेगा, या फिर यह पैसा एक बार फिर गलत हाथों में चला जाएगा।














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