“Studio Gibli art. पर आधारित AI ट्रेंड: रचनात्मकता और नैतिकता पर उठ रहे सवाल”
स्टूडियो घिब्ली के एनीमेशन शैली पर एक नए AI ट्रेंड ने दुनिया भर में धूम मचा दी है। यह ट्रेंड, जो AI द्वारा उत्पन्न “घिब्ली-शैली” के चित्रों के रूप में सामने आया है, लोगों को अपने फ़ोटो को स्टूडियो घिब्ली के प्रसिद्ध एनीमेशन शैली में बदलने का अवसर दे रहा है। स्टूडियो घिब्ली, जो “स्पिरिटेड अवे,” “माय नेबर टोटोरो,” और “हाउल्स मूविंग कैसल” जैसी फिल्मों के लिए मशहूर है, अपने जलरंग-जैसे पृष्ठभूमि और स्वप्निल दृश्यों के लिए जाना जाता है।
ट्रेंड का विकास और लोकप्रियता
OpenAI के ChatGPT 4.0 के नए अपडेट के बाद, यह सुविधा सभी उपयोगकर्ताओं के लिए मुफ्त में उपलब्ध हो गई है। पहले यह केवल भुगतान वाले उपयोगकर्ताओं के लिए था, लेकिन अब हर कोई अपने फ़ोटो को घिब्ली-शैली में बदल सकता है। यह सुविधा इतनी लोकप्रिय हो गई कि OpenAI के सर्वरों पर लोड बढ़ गया और अस्थायी दर सीमाएं लगानी पड़ीं।
गोपनीयता और नैतिक चिंताएँ
इस ट्रेंड के साथ कुछ गोपनीयता और नैतिक चिंताएँ भी जुड़ी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि AI टूल्स पर अपने व्यक्तिगत फ़ोटो अपलोड करना डेटा उल्लंघनों और दुरुपयोग का जोखिम बढ़ा सकता है। स्टूडियो घिब्ली के सह-संस्थापक हायाओ मियाज़ाकी ने AI-जनित कला को “जीवन का अपमान” कहा है, जो इस ट्रेंड की नैतिक जटिलताओं पर सवाल उठाता है।
भारत में ट्रेंड का असर
भारत में भी यह ट्रेंड काफी लोकप्रिय हो रहा है। सोशल मीडिया पर लोग अपने घिब्ली-शैली के चित्र साझा कर रहे हैं, और कुछ राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षणों को भी इस शैली में चित्रित किया गया है। OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने कहा कि भारत OpenAI के लिए एक तेजी से बढ़ता हुआ बाज़ार है।
यह ट्रेंड एक तरफ रचनात्मकता और पहुंच को बढ़ावा दे रहा है, लेकिन दूसरी तरफ गोपनीयता और कॉपीराइट के मुद्दों को लेकर एक बहस भी शुरू कर रहा है। आपको क्या लगता है, AI-जनित कला एक नई रचनात्मकता का रूप है या एक नैतिक चुनौती?








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